कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
Lord Shiva is often known as Mahakaal, he could be the god of war, the destroyer, Bholenath for his kindness and generosity to all the creatures Within this universe.
अर्थ: पवित्र मन से इस पाठ को करने से भगवान शिव कर्ज में डूबे को भी समृद्ध बना देते हैं। यदि कोई संतान हीन हो तो उसकी इच्छा को भी भगवान शिव का प्रसाद निश्चित रुप से मिलता है। त्रयोदशी (चंद्रमास का तेरहवां दिन त्रयोदशी कहलाता है, हर चंद्रमास में दो त्रयोदशी आती हैं, एक कृष्ण पक्ष में व एक शुक्ल पक्ष में) को पंडित बुलाकर हवन करवाने, ध्यान करने और व्रत रखने से किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं रहता।
जय जय जय अनंत अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
मैना मातु की हवे दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
Whosoever offers incense, prasad and performs arti to Lord Shiva, with love and devotion, enjoys substance contentment and spiritual bliss With this check here globe and hereafter ascends for the abode of Lord Shiva. The poet prays that Lord Shiva removes the struggling of all and grants them Everlasting bliss.
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।
अर्थ- हे स्वामी, इस विनाशकारी स्थिति से मुझे उभार लो यही उचित अवसर। अर्थात जब मैं इस समय आपकी शरण में हूं, मुझे अपनी भक्ति में लीन कर मुझे मोहमाया से मुक्ति दिलाओ, सांसारिक कष्टों से उभारों। अपने त्रिशुल से इन तमाम दुष्टों का नाश कर दो। हे भोलेनाथ, आकर मुझे इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
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